Kargil Vijay Diwas 2024:
‘बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था’
हर साल क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस?
शहादत और बहादुरी का एक प्रतीक ये है उत्सव
जानें इस दिन का इतिहास और महत्व :--
कल यानी 26 तारीख को देश कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की रजत जयंती का महोत्सव बनाएगा। यह दिन हमारे उन जांबाजों को समर्पित है, जिन्होंने पाक सैनिकों के छक्के छुड़ाते हुए कारगिल की ऊंची चोटियों को दुश्मन से आजाद करवाया था।
कारगिल नाम का अर्थ
कारगिल की बात हम इसके नाम के शुरुआत से ही करते हैं। इसके नाम का अर्थ बेहद खास है। यह शब्द दो शब्दों खार और आरकिल से मिलकर बना है।
खार का अर्थ किला और आरकिल का अर्थ केंद्र से हैं। इस प्रकार यह किलों के बीच का स्थान है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह कई राज्यों के बीच मौजूद रहा।
समय बीतने के साथ खार आरकिल या खिल को कारगिल के रूप में जाना जाने लगा।
पाकिस्तान ने जब नियंत्रण रेखा पर किया कब्जा
पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने नापाक चाल चलते हुए कश्मीर और लद्दाख के बीच लिंक तोड़ने और अशांति पैदा करने के लिए, उत्तरी कारगिल में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के भारतीय इलाके में घुसपैठ की और ऊंची पहाड़ी के चोटियों पर कब्जा कर लिया।
26 जुलाई, 1999 को तीन महीने के संघर्ष के बाद भारतीय सैनिकों ने ये जीत हासिल की। युद्ध में भारत की जीत, भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान का सम्मान करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
जब भारत को मई 1999 में घुसपैठ का पता चला, तो भारतीय सेना को 'ऑपरेशन विजय' शुरू करना पड़ा और कारगिल युद्ध हुआ। यह संघर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के कारगिल जिले और एलओसी पर मई से जुलाई 1999 तक चला। करीब दो महीनों तक दुर्गम पहाड़ी इलाके में भीषण युद्ध चला। 'ऑपरेशन विजय' के तहत भारतीय सेना पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने में कामयाब रही और टाइगर हिल और दूसरे रणनीतिक ठिकानों पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया।
कारगिल का क्षेत्रफल
सवा लाख की आबादी वाला कारगिल 14,086 वर्ग क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह श्रीनगर से लेह की ओर से 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कारगिल को आज की दुनिया में आगाओं की भूमि कहा जाता है। यह इस तथ्य के कारण है कि कारगिल में ज्यादातर शिया मुसलमान रहते हैं और आगा धार्मिक प्रमुख और उपदेशक हैं।
कारगिल का इतिहास
इतिहासकार परवेज दीवान की "कारगिल ब्लंडर" नामक एक किताब के अनुसार इस जगह पर रहने के लिए सबसे पहले कारगिल नामक व्यक्ति ने पोयेने और शिलिकचाय के इलाकों में फैले जंगलों को साफ किया था। इसी जगह का बाद में कारगिल नाम रख दिया गया। इसके बाद गशो थाथा खान का आगमन हुआ। थाथा खान के शाही परिवार के वंशज ने आठवीं शताब्दी के शुरुआत में कारगिल पर कब्जा जमाया।
उनके राजवंश ने शुरुआती काल में कारगिल के सोद क्षेत्र पर शासन किया, जो बाद में स्थायी रूप से शकर चिकटन क्षेत्र में बस गए।
पर्यटन क्षेत्र में कारगिल
कारगिल व लद्दाख के अन्य भागों को वर्ष 1974 में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। जिसके बाद यहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट आने लगे। वर्ष 1999 में भारत-पाक युद्ध के समय यह इलाका सुर्खियों में रहा। यहां कुछ जगहें जैसे- टाइगर हिल, तोलोलिंग, मुश्कु घाटी और बटालिक पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
कारगिल में कब आया इस्लाम
ऐस माना जाता है कि15वीं सदी में कारगिल में इस्लाम का प्रवेश हुआ। मध्य एशिया के शिया स्कूल के विद्वान मीर शम्स-उद-दीन इराकी ने इस्लाम का प्रचार करने के लिए अपने मिशनरियों के साथ बाल्टिस्तान और कारगिल का दौरा किया। सबसे पहले बाल्टिस्तान के प्रमुख ने इस्लाम अपनाया और उसके बाद कारगिल के प्रमुखों ने भी इस्लाम अपनाया।
मीर शम्स-उद-दीन इराकी से पहले ख्वाजा नूरबख्श ने कारगिल का दौरा किया और बहुत सारे इस्लामी उपदेश दिए। इस प्रकार बौद्ध धर्म कारगिल में सापी, फोकर, मुलबैक, वाखा बोध-खरबू क्षेत्रों, दारचिक गरकोन और जास्कर जैसे स्थानों तक सीमित रह गया।
कारगिल युद्ध में वीरता के लिए परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र के पदक से सम्मानित होने वाले जांबाजों की सूची…
परमवीर चक्र :-
कैप्टन विक्रम बत्रा | 13 J&K राइफल्स | मरणोपरांत |
राइफलमैन संजय कुमार | 13 J&K राइफल्स | |
ग्रेनेडियर वाई एस यादव | 18 ग्रेनेडियर | |
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे | 1/11 गोरखा राइफल्स | मरणोपरांत |
महावीर चक्र :-
मेजर राजेश सिंह अधिकारी | 18 ग्रेनेडियर | मरणोपरांत |
लेफ्टिनेंट बलवान सिंह | 18 ग्रेनेडियर | |
मेजर विवेक गुप्ता | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
मेजर पद्मपानी आचार्य | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
कैप्टन नेइकेझाकुओ केंगुरूसे | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
नायक दिगेंद्र कुमार | 2 राजपूताना राइफल्स | |
मेजर सोनान वांगचुक | लद्दाख स्काउट्स | |
लेफ्टिनेंट के क्लिफोर्ड नोंग्रम | 12 J&K लाइट इन्फैंट्री | मरणोपरांत |
लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश जोशी | 13 J&K राइफल्स | |
मेजर एस विजय भास्कर | 13 J&K राइफल्स | |
मेजर विकास वोहरा | 13 J&K राइफल्स | |
कैप्टन संजीव सिंह | 13 J&K राइफल्स | |
सूबेदार रघुनाथ सिंह | 13 J&K राइफल्स | |
नायक देव प्रसाद | 13 J&K राइफल्स | |
राइफलमैन श्याम सिंह | 13 J&K राइफल्स | मरणोपरांत |
राइफलमैन मेहर सिंह | 13 J&K राइफल्स | |
कैप्टन सचिन अन्नारा निंबालकर | 18 ग्रेनेडियर | |
सूबेदार रणधीर सिंह | 18 ग्रेनेडियर | मरणोपरांत |
नायब सूबेदार दान लाल | 18 ग्रेनेडियर | मरणोपरांत |
हवलदार राम कुमार | 18 ग्रेनेडियर | मरणोपरांत |
कर्नल ललित राय | 1/11 गोरखा राइफल्स | |
कर्नल एम बी रविंद्र नाथ | 2 राजपूताना राइफल्स | |
मेजर मोहित सक्सेना | 2 राजपूताना राइफल्स | |
कैप्टन विजयंत थापर | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
सूबेदार भावर लाल | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
हवलदार सुल्तान सिंह | 2 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
राइफलमैन जय राम सिंह | 2 राजपूताना राइफल्स | |
सूबेदार चेरिंग | लद्दाख स्काउट्स | |
यूबेदसा लोबज़ांग छोटक | लद्दाख स्काउट्स | मरणोपरांत |
हवलदार तस्वांग रिग्जिन | लद्दाख स्काउट्स | मरणोपरांत |
सिपाही दोरजय | लद्दाख स्काउट्स | |
कैप्टन अमोल कलिया | 12 J&K लाइट इन्फैंट्री | मरणोपरांत |
सूबेदार बहादुर सिंह | 12 J&K लाइट इन्फैंट्री | मरणोपरांत |
लांसनायक घोस मोहम्मद खान | 12 J&K लाइट इन्फैंट्री | मरणोपरांत |
मेजर राजेश सह | 18 गढ़वाल राइफल्स | |
कैप्टन सुमित रॉय | 18 गढ़वाल राइफल्स | |
कैप्टन एम वी सूरज | 18 गढ़वाल राइफल्स | |
नायक कश्मीर सिंह | 18 गढ़वाल राइफल्स | मरणोपरांत |
राइफलमैन अनुसूया प्रसाद | 18 गढ़वाल राइफल्स | |
राइफलमैन कुलदीप सिंह | 18 गढ़वाल राइफल्स | |
कर्नल उमेश सिंह बावा | 17 जाट रेजिमेंट | |
मेजर दीपक रामपाल | 17 जाट रेजिमेंट | |
हवलदार कुमार सिंह | 17 जाट रेजिमेंट | |
मेजर एम सरवन | बिहार रेजिमेंट | |
नायक गणेश प्रसाद यादव | बिहार रेजिमेंट | मरणोपरांत |
लांसनायक खुसीमान गुरुंग | 1 नागा रेजिमेंट | |
सिपाही के अशूली | 1 नागा रेजिमेंट | मरणोपरांत |
कैप्टन हनीफुद्दीन | 11 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
नायब सूबेदार मंजीज सिंह | 11 राजपूताना राइफल्स | मरणोपरांत |
कैप्टन श्यामल सिन्हा | 27 राजपूत रेजिमेंट | |
हवलदार जोगिंदर सिंह कुमाऊं | 27 राजपूत रेजिमेंट | |
कैप्टन जिंटू गोगोई | 17 गढ़वाल राइफल्स | मरणोपरांत |
हवलदार सिस राम गिल | 8 जाट रेजिमेंट | मरणोपरांत |
सिपाही सतपाल सिंह | 8 सिख रेजिमेंट | |
कैप्टन जेरी प्रेम राज | आर्टिलरी रेजिमेंट | मरणोपरांत |
ग्रेनेडियर एस गोपाल पिल्लई | आर्टिलरी रेजिमेंट | मरणोपरांत |
मेजर एएस कसाना | आर्टिलरी रेजिमेंट | |
विंग कमांडर अनिल कुमार सिन्हा | भारतीय वायु सेना | |
स्क्वार्डन लीडर अजय अहुजा | भारतीय वायु सेना |
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